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जानिए पुरुषों में प्रोस्टेट क्यों बढ़ता है?

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  जब प्रोस्टेट और उसके आसपास मौजूद टिश्यू फैलने लगते हैं, तब पुरुष में प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार बड़ा हो जाता है। इस समस्या को बिनाइन प्रोस्टेट हाइपरलेप्सिया (बीपीएच) कहा जाता है। अब यहाँ एक अहम सवाल ये खड़ा होता है कि पुरुषों में प्रोस्टेट क्यों बढ़ता है ? दरअसल, पुरुषों के जीवन में ऐसे 2 फेज आते हैं जब उनमें प्रोस्टेट ग्रंथि बड़ी होती है। एक है प्यूबर्टी एज। इस दौरान पुरुषों की प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार दो गुणा बढ़ जाता है। इसके बाद जब पुरुष 25 साल की उम्र पार करते हैं, तब भी उनमें प्रोस्टेट ग्रंथि बड़ी होती है। ज्यादातर पुरुषों में ये प्रक्रिया जारी रहती है और देखते ही देखते ही इससे व्यक्ति की परेशानियां बढ़ जाती हैं।( Ref ) 2 रिस्क फैक्टर्स जो बढ़ाते हैं बीपीएच का खतरा प्रोस्टेट क्यों बढ़ता है , इसका कारण पूरी तरह से समझ नहीं आ पाया है लेकिन कुछ अध्ययनों के मुताबिक जेनेटिक कारण एवं बढ़ती उम्र, पुरुषों को बीपीएच का शिकार बना सकती है।( Ref ) वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे रिस्क फैक्टर्स भी हैं, जिसके कारण पुरुषों को बीपीएच की समस्या हो सकती है। आज हम ऐसे ही 2 रिस्क फैक्टर्स पर चर्चा करेंगे...

नवजात शिशु को गैस की समस्या होने पर करें ये 3 घरेलू उपचार

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  नवजात शिशु को गैस होना काफी आम बात है। छोटे बच्चों में ये समस्या होने के कई कारण हो सकते हैं। इसके कारणों में शामिल हैं ( Ref )- दूध पीते समय हवा निगलना अत्यधिक रोना पाचन संबंधी समस्याएं पाचन तंत्र का ठीक से विकसित न होना  गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल वायरस वैसे तो ये समस्या बहुत ही सामान्य है लेकिन कई बार बच्चे पेट की गैस की वजह से असहज महसूस करते हैं। इसकी वजह से बच्चा बार-बार रोता है और अच्छी तरह से सो भी नहीं पाता है। ऐसा लगातार होने से बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए नवजात शिशु को गैस की समस्या से राहत दिलाना जरुरी है। इसके लिए शिशु के माता-पिता कुछ घरेलू उपाय कर सकते हैं।  शिशु के पेट में गैस बनने पर करें ये 3 घरेलू उपाय शिशु को दूध पिलाने के बाद डकार दिलाएं ( Ref )- शिशु को दूध पिलाने के बाद डकार दिलवाना बहुत जरुरी होता है। जब आपका बच्चा दूध पीता है, तो हवा के कुछ मात्रा भी बच्चे के पेट में फंस सकते हैं। इसकी वजह से शिशु असुविधा महसूस कर सकता है। डकार दिलाकर शिशु को इस समस्या से राहत दिलाई जा सकती है।  शिशु के पेट को हल्के हांथों से मालिश करें ( Ref )-...

क्या प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षण (Prostate Badhne ke Lakshan) बन सकते हैं नपुंसकता का कारण?

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  बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लेसिया (Benign Prostatic Hyperplasia) पुरुषों में पायी जाने वाली एक आम समस्या जरूर है लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि इस बीमारी को नजरअंदाज किया जाये। क्या आप जानते हैं कि अगर सही समय पर इस बीमारी का इलाज न हो, तो इसका असर एक पुरुष की सेक्स लाइफ पर पड़ सकता है। जी हाँ, ऐसा बिल्कुल हो सकता है। कुछ सर्वे में इस बात की पुष्टी भी की गयी है कि प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षण अगर गंभीर हो जाएं, तो इससे व्यक्ति में नपुंसकता विकसित हो सकती है। ( Ref ) प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षण क्यों बन सकते हैं नपुंसकता का कारण? कुछ सर्वे में ये बताया गया है कि बीपीएच में होने वाली यूरिन संबंधी समस्याएं पुरुषों में नपुंसकता के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। उम्र बढ़ने व अन्य कई कारणों से व्यक्ति को बीपीएच की समस्या हो सकती है। ऐसे में बार-बार पेशाब का एहसास होना या पेशाब करने के बाद भी संतुष्टि न होना जैसे लक्षण व्यक्ति को परेशान करते हैं। इसके अलावा कई बार व्यक्ति को रात में बार-बार पेशाब के लिए भी उठना पड़ता है। यही प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षण व्यक्ति की सेक्सुअल एक्टिविटी को घटाने का कारण बनते ह...

जानें पीरियड के कितने दिन बाद संबंध बनाना चाहिए (Period ke Kitne Din Baad Sambandh Banana Chahiye)?

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  पीरियड, सेक्स और प्रेगनेंसी, इन बातों को लेकर ही अक्सर हर कपल उलझन में रहते हैं।  क्या पीरियड में सेक्स करना चाहिये? क्या पीरियड में सेक्स करने से प्रेगनेंसी होती है? पीरियड के कितने दिन बाद संबंध बनाना चाहिये (Period ke Kitne Din Baad Sambandh Banana Chahiye) ? वगैरह-वगैरह सवाल एक कपल को बहुत ज्यादा परेशान करते हैं। अगर कोई महिला प्रेगनेंट होना चाहती है या अभी प्रेगनेंसी प्लान नहीं करना चाहती, इन दोनों ही मामलों में उसे अपने पीरियड और मेन्सट्रुअल साइकिल को अच्छे से समझने की जरूरत पड़ती है। प्रेगनेंसी चाहती हैं तो पीरियड के कितने दिन बाद संबंध बनाना चाहिये ( Period ke Kitne Din Baad Sambandh Banana Chahiye )? इसके जवाब के लिए मेन्सट्रुअल साइकिल और ओव्यूलेशन पीरियड को समझना जरूरी है। मेन्सट्रुअल साइकिल की शुरुआत पीरियड के पहले दिन से होती है और अगले पीरियड आने के एक दिन पहले ये साइकिल समाप्त हो जाती है। इसी बीच महिला का ओव्यूलेशन पीरियड भी शुरू होता है। आम तौर पर पीरियड आने के 12 से 14 दिन पहले महिला में ओव्यूलेशन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस अवस्था में महिला के ओवरी से ...

डेंगू का उपचार नहीं है मुश्किल! प्लेटलेट काउंट बढ़ाने के लिए खाएं ये 5 फल

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  डेंगू एक ऐसी बीमारी है जिसकी चपेट में आकर बहुत से लोग अपनी जान गवां चुके हैं। भारत सरकार की तरफ से जारी किये गये आंकड़ों के अनुसार साल 2022 में भारत में डेंगू के 2 लाख 33 हजार 251 मामले दर्ज हुए थे। वहीं 303 लोगों ने अपनी जान गवां दी थी। ( Ref ) वैसे सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में डेंगू अपने पैर पसार चुका है। यूं तो डेंगू का उपचार पूर्ण रूप से संभव है लेकिन इस मामले में देरी करना व्यक्ति के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। इसीलिए अगर किसी व्यक्ति में डेंगू के गंभीर लक्षण नजर आये तो उसे तुरंत चिकित्सक के पास ले जाना आवश्यक है। जानें क्या हैं डेंगू के गंभीर लक्षण? ( Ref ) त्वचा पर लाल दाग  नाक या मसूड़ों से खून निकलना लगातार उल्टी होना उल्टी में खून आना काला मल बहुत ज्यादा नींद आना बार-बार रोना आना पेट में दर्द बहुत ज्यादा प्यास लगना या मुँह का सूखना त्वचा का पीला पड़ना या चिपचिपाहट का एहसास होना सांस लेने में तकलीफ होना इन लक्षणों के नजर आने पर व्यक्ति को तुरंत अस्पताल ले जाना आवश्यक है ताकि सही समय पर डेंगू का उपचार हो सके।  इस बीमारी में कई बार लोगों का प्लेटल...

लाइफस्टाइल में सिर्फ 5 आसान बदलाव कर उच्च रक्तचाप को कहें बाय-बाय!

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  जब व्यक्ति के शरीर में रक्त का दबाव 120/80 एमएमएचजी से ज्यादा हो जाये तो इसका मतलब व्यक्ति उच्च रक्तचाप की चपेट में है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार भारत में हर 4 में से एक युवा इस बीमारी का शिकार है। यहाँ तकरीबन 220 मिलियन लोग हाइपरटेंशन से पीड़ित हैं। वहीं हैरानी की बात तो ये है कि इनमें से सिर्फ 12% लोगों का ही बीपी नियंत्रण में है। ( Ref ) स्थिति को देखते हुए भारत सरकार ने साल 2025 तक हाइपरटेंशन के मामलों को 25% तक कम करने का लक्ष्य रखा है लेकिन ये तभी संभव होगा, जब लोग जागरूक होंगे। ( Ref )  इसके लिए सिर्फ दवाईयां काफी नहीं है बल्कि लोगों को अपनी लाइफस्टाइल में भी सुधार करना होगा। आज हम लाइफस्टाइल में किये जाने वाले ऐसे ही 5 बदलाव पर चर्चा करेंगे जो उच्च रक्तचाप से बचाव के लिए आवश्यक है। इससे पहले एक नजर डालें इस बीमारी के लक्षणों पर - उच्च रक्तचाप के लक्षण सांस फूलना सिरदर्द थकान कमजोरी महसूस होना पसीना आना धुंधली दृष्टि उल्टी जी घबराना अनियमित दिल की धड़कन अगर आप भी इन लक्षणों से परेशान हैं तो आपके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है अपने आप पर ध्यान देना। बस कुछ...

क्या आप भी सिर दर्द से हैं परेशान? तनाव हो सकता है इसका मुख्य कारण

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क्या आपको भी होता है बार-बार सिर में दर्द? आजकल सिर दर्द की समस्या बहुत ही आम हो गई है। इसके लिए अक्सर लोग दर्द निवारक गोलियों का सेवन करते हैं। इन गोलियों को लेने से व्यक्ति को थोड़े समय के लिए दर्द से राहत तो मिल जाती है लेकिन यह दर्द फिर से हो सकता है। इसलिए सिरदर्द से छुटकारा पाने के लिए दर्दनिवारक दवाएं खाना एक अस्थायी विकल्प है। अगर आप इस समस्या से निजात पाना चाहते हैं तो सबसे पहले यह जान लें कि ये दर्द होता क्यों है? ताकि आप इसके जोखिम कारकों से बचने की कोशिश कर सकें। निम्नलिखित वजहें हैं जो आमतौर पर सिर दर्द का कारण बन सकते हैं ( Ref )  - तनाव अनहेल्थी डाइट  आंखों की समस्या  हार्मोनल परिवर्तन  किसी दवा का साइड इफेक्ट  कान, नाक या गले से जुड़ी कोई समस्या  सिर, गर्दन या रीढ़ की हड्डी में चोट उच्च रक्तचाप डिहाइड्रेशन  तेज शोर  दंत या जबड़े की समस्या किसी तरह का संक्रमण  आमतौर पर यही वो कारण होते हैं जिनकी वजह से व्यक्ति को बार-बार सिर में दर्द हो सकता है। मगर इनमें से सबसे मुख्य कारण है- तनाव। मौजूदा समय में बुजुर्ग ही नहीं बल्कि युवा और...