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डेंगू का उपचार नहीं है मुश्किल! प्लेटलेट काउंट बढ़ाने के लिए खाएं ये 5 फल

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  डेंगू एक ऐसी बीमारी है जिसकी चपेट में आकर बहुत से लोग अपनी जान गवां चुके हैं। भारत सरकार की तरफ से जारी किये गये आंकड़ों के अनुसार साल 2022 में भारत में डेंगू के 2 लाख 33 हजार 251 मामले दर्ज हुए थे। वहीं 303 लोगों ने अपनी जान गवां दी थी। ( Ref ) वैसे सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में डेंगू अपने पैर पसार चुका है। यूं तो डेंगू का उपचार पूर्ण रूप से संभव है लेकिन इस मामले में देरी करना व्यक्ति के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। इसीलिए अगर किसी व्यक्ति में डेंगू के गंभीर लक्षण नजर आये तो उसे तुरंत चिकित्सक के पास ले जाना आवश्यक है। जानें क्या हैं डेंगू के गंभीर लक्षण? ( Ref ) त्वचा पर लाल दाग  नाक या मसूड़ों से खून निकलना लगातार उल्टी होना उल्टी में खून आना काला मल बहुत ज्यादा नींद आना बार-बार रोना आना पेट में दर्द बहुत ज्यादा प्यास लगना या मुँह का सूखना त्वचा का पीला पड़ना या चिपचिपाहट का एहसास होना सांस लेने में तकलीफ होना इन लक्षणों के नजर आने पर व्यक्ति को तुरंत अस्पताल ले जाना आवश्यक है ताकि सही समय पर डेंगू का उपचार हो सके।  इस बीमारी में कई बार लोगों का प्लेटल...

लाइफस्टाइल में सिर्फ 5 आसान बदलाव कर उच्च रक्तचाप को कहें बाय-बाय!

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  जब व्यक्ति के शरीर में रक्त का दबाव 120/80 एमएमएचजी से ज्यादा हो जाये तो इसका मतलब व्यक्ति उच्च रक्तचाप की चपेट में है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार भारत में हर 4 में से एक युवा इस बीमारी का शिकार है। यहाँ तकरीबन 220 मिलियन लोग हाइपरटेंशन से पीड़ित हैं। वहीं हैरानी की बात तो ये है कि इनमें से सिर्फ 12% लोगों का ही बीपी नियंत्रण में है। ( Ref ) स्थिति को देखते हुए भारत सरकार ने साल 2025 तक हाइपरटेंशन के मामलों को 25% तक कम करने का लक्ष्य रखा है लेकिन ये तभी संभव होगा, जब लोग जागरूक होंगे। ( Ref )  इसके लिए सिर्फ दवाईयां काफी नहीं है बल्कि लोगों को अपनी लाइफस्टाइल में भी सुधार करना होगा। आज हम लाइफस्टाइल में किये जाने वाले ऐसे ही 5 बदलाव पर चर्चा करेंगे जो उच्च रक्तचाप से बचाव के लिए आवश्यक है। इससे पहले एक नजर डालें इस बीमारी के लक्षणों पर - उच्च रक्तचाप के लक्षण सांस फूलना सिरदर्द थकान कमजोरी महसूस होना पसीना आना धुंधली दृष्टि उल्टी जी घबराना अनियमित दिल की धड़कन अगर आप भी इन लक्षणों से परेशान हैं तो आपके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है अपने आप पर ध्यान देना। बस कुछ...

क्या आप भी सिर दर्द से हैं परेशान? तनाव हो सकता है इसका मुख्य कारण

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क्या आपको भी होता है बार-बार सिर में दर्द? आजकल सिर दर्द की समस्या बहुत ही आम हो गई है। इसके लिए अक्सर लोग दर्द निवारक गोलियों का सेवन करते हैं। इन गोलियों को लेने से व्यक्ति को थोड़े समय के लिए दर्द से राहत तो मिल जाती है लेकिन यह दर्द फिर से हो सकता है। इसलिए सिरदर्द से छुटकारा पाने के लिए दर्दनिवारक दवाएं खाना एक अस्थायी विकल्प है। अगर आप इस समस्या से निजात पाना चाहते हैं तो सबसे पहले यह जान लें कि ये दर्द होता क्यों है? ताकि आप इसके जोखिम कारकों से बचने की कोशिश कर सकें। निम्नलिखित वजहें हैं जो आमतौर पर सिर दर्द का कारण बन सकते हैं ( Ref )  - तनाव अनहेल्थी डाइट  आंखों की समस्या  हार्मोनल परिवर्तन  किसी दवा का साइड इफेक्ट  कान, नाक या गले से जुड़ी कोई समस्या  सिर, गर्दन या रीढ़ की हड्डी में चोट उच्च रक्तचाप डिहाइड्रेशन  तेज शोर  दंत या जबड़े की समस्या किसी तरह का संक्रमण  आमतौर पर यही वो कारण होते हैं जिनकी वजह से व्यक्ति को बार-बार सिर में दर्द हो सकता है। मगर इनमें से सबसे मुख्य कारण है- तनाव। मौजूदा समय में बुजुर्ग ही नहीं बल्कि युवा और...

बीमारियों से बचाता है डीपीटी का टीका लेकिन नजर आ सकते हैं कुछ साइड इफेक्ट्स!

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  डीपीटी का टीका मुख्य रूप से 3 बीमारियों से बचाने के लिए तैयार किया गया है - डिप्थीरिया, पर्टुसिस (काली खांसी) और टिटनेस। डिप्थीरिया और पर्टुसिस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाली बीमारी है। वहीं टिटनेस घाव या चोट लगने के कारण शरीर में प्रवेश करता है। अगर इन बीमारियों को अनदेखा किया जाये तो ये जानलेवा साबित हो सकती हैं और इन्हीं बीमारियों से बचाव का नाम है- डीपीटी वैक्सीन। बच्चों में इस वैक्सीन को लगाना अनिवार्य है।  जानें बच्चों को कब-कब लगवाना चाहिये डीपीटा का टीका? डीपीटी का टीका 7 साल से कम उम्र के बच्चों में ही लगाया जाना चाहिये। डॉक्टर्स बच्चों को इस वैक्सीन की 5 डोज लगाने की सलाह देते हैं। पहली डोज जन्म के बाद दूसरे महीने में दूसरी डोज चौथे महीने में तीसरी डोज छठवें महीने में चौथी डोज 15-18 महीने में पांचवी डोज 4-6 साल की उम्र में ( Ref ) डीपीटी का टीका लगाने के बाद नजर आ सकते हैं ये साइड इफ्केट्स! वैसे तो डीपीटी का टीका सुरक्षित है लेकिन कुछ मामलों में इसके दुष्प्रभाव बच्चों में दिखाई दे सकते हैं जो इस प्रकार से हैं - माइल्ड साइट इफेकट्स बच्चे को बुखार होना।...

अस्थमा के लक्षण को ट्रिगर कर सकते हैं ये 3 फैक्टर

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  अस्थमा एक आम क्रोनिक बीमारी है। इसमें श्वसन मार्ग सिकुड़ जाते हैं। जिसकी वजह से व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। इसके अलावा आमतौर पर अस्थमा के लक्षण में खांसी आना, खांसते समय घरघराहट की आवाज आना, सीने में जकड़न आदि शामिल हैं। ये लक्षण तब दिखाई देते हैं जब मरीज अस्थमा को ट्रिगर करने वाले कारकों के संपर्क में आते हैं। ये ट्रिगर्स सभी मरीजों में अलग-अलग हो सकते हैं। इसलिए पहले अपने ट्रिगर्स को जानें और फिर उनसे बचना सीखें। कुछ ऐसे कारक भी है जो इन मरीजों में आम हो सकते हैं। जिसके बारे में हर व्यक्ति को जानना बेहद जरुरी है। ताकि अस्थमा के लक्षण को गंभीर होने से रोका जा सके। तो आज हम अस्थमा के कुछ ऐसे ही सामान्य जोखिम कारकों के बारे में बात करेंगे। आइए जानते हैं क्या है वो 3 महत्वपूर्ण फैक्टर्स- धूम्रपान : अस्थमा के मरीजों की श्वसन नली संवेदनशील होती है। कुछ 'ट्रिगर' इन मार्गों को संकीर्ण कर सकते हैं। धूम्रपान इन जोखिम कारकों में से एक है। धूम्रपान करने से फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो जाती है। धूम्रपान करने से अस्थमा के लक्षण और बढ़ सकते हैं। कुछ मामलों में अस्थमा गंभीर...

अगर एमनियोटिक द्रव असामान्य हो जाये तो क्या करें? जानिए यहाँ

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  एमनियोटिक द्रव वह तरल पदार्थ है जो गर्भावस्था के दौरान गर्भ में बच्चे को घेरे रहता है। यह गर्भ में बच्चे को सुरक्षा प्रदान करता है। यह फ्लूइड आपके शिशु के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस द्रव के गर्भवती महिलाओं के शरीर में कम या ज्यादा होने से बच्चे और माँ को कुछ दिक्कतें आ सकती हैं। इसलिए माँ के शरीर में एमनियोटिक द्रव का स्तर सामान्य होना बेहद जरुरी होता है। यह फ्लूइड सामान्य है या नहीं, यह जानने के लिए डॉक्टर से नियमित चेक-अप कराने की आवश्यकता होती है। आइये जानते है अगर एमनियोटिक द्रव असामान्य हो जाये तो क्या करें? अगर एमनियोटिक फ्लूइड का स्तर कम है तो इसे कैसे बढ़ाया जाए? अगर एमनियोटिक द्रव के स्तर में कमी आ जाये तो उसे बढ़ाने के लिए इन कुछ सुझावों का पालन करें-  पानी का सेवन बढ़ाएं- अगर महिलाओं में एमनियोटिक द्रव का स्तर सामान्य से थोड़ा कम है, तो वे अधिक पानी पीकर इसका स्तर बढ़ा सकती हैं। एक पुरानी समीक्षा के अनुसार, जिन महिलाओं ने इस द्रव के कम होने पर 2 घंटे में लगभग 2 लीटर पानी का सेवन बढ़ाया, उनके एमनियोटिक द्रव के स्तर में वृद्धि देखी गई है। सप्लीमेंट्स ल...

ये 8 प्रोस्टेट के लक्षण हो सकते हैं कैंसर का संकेत!

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  प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में होने वाला सबसे आम कैंसर है। भारत में पाये जाने वाले कैंसर के टॉप 10 मामलों में प्रोस्टेट कैंसर भी शामिल है। दरअसल, अक्सर शुरुआती दौर में लोग प्रोस्टेट के लक्षण को नजरअंदाज करते हैं। उनकी यही अनदेखी उन्हें कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का शिकार बना देती है। वैसे तो 65 साल से ज्यादा उम्र वाले पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर की समस्या अधिक पायी जाती है लेकिन आजकल 35-44 साल के पुरुष भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। क्या होता है प्रोस्टेट कैंसर? प्रोस्टेट ग्लैंड पुरुषों के रिप्रोडक्टिव सिस्टम का एक महत्वपूर्ण अंग है। ये मूत्राशय के नीचे अखरोट के आकार की होती है और इसका काम होता है पुरुषों के स्पर्म को सुरक्षित रखना और उसे पोषण देना। जब इसी प्रोस्टेट ग्लैंड की स्वस्थ कोशिकाएं बदल जाती हैं और अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगती हैं तो प्रोस्टेट कैंसर की शुरुआत होती है। 8 प्रोस्टेट के लक्षण जो करते हैं कैंसर की तरफ इशारा पेशाब के निकलने में तकलीफ होना पेशाब की धार का बहुत ज्यादा धीमा होना रात के समय बार-बार पेशाब आना ब्लैडर को पूरी तरह से खाली करने में परेशानी होना पेश...