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मई, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

4 स्थितियां जिनमें हो सकती हैं घुटनों में पानी भरने की समस्या

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  घुटने में द्रव जमा होना या घुटनों में पानी भरने को "नी इफ्यूजन” (Knee Effusion) भी कहा जाता है। इसमें घुटने में अतिरिक्त तरल पदार्थ भर जाने से हड्डियों के आसपास सूजन होने लगती है। इसकी वजह से घुटने को मोड़ना या सीधा करना मुश्किल हो सकता है। व्यक्ति को चलने-फिरने में भी परेशानी होने लगती है। नी इफ्यूजन के कई कारण हो सकते है जैसे कोई चोट या हड्डी से जुड़ी कोई बीमारी। इसके कारणों को विस्तार में जानने से पहले आइए जानते हैं कि घुटनों में पानी भरने पर व्यक्ति को कौन-कौन से लक्षण दिखाई दे सकते हैं। विशिष्ट लक्षणों में शामिल हैं: घुटने की सूजन घुटने के दर्द घुटने में अकड़न कुछ लक्षण ऐसे भी हैं जिनमें तत्काल डॉक्टरी सलाह लेने की आवश्यकता पड़ सकती है। जिनमें शामिल हैं: जोड़ पर वजन डालने में असमर्थता पैरों में सुन्नता महसूस होना  बुखार अब आइए जानते हैं कि ऐसी कौन सी स्वास्थ्य संबंधी स्थितियां हैं जिसमें घुटनों में पानी भरने की समस्या पैदा हो सकती है: ऑस्टियोआर्थराइटिस : उम्र बढ़ने के साथ व्यक्ति में ऑस्टियोआर्थराइटिस होने का खतरा बढ़ता जाता है। इसके साथ ही व्यक्ति में अंदरूनी घुटनों में प...

प्रोस्टेट के लक्षण हो सकते हैं पुरुषों में ये 3 बीमारियों के संकेत

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प्रोस्टेट की समस्याएं बहुत ही सामान्य है, विशेषतौर पर 50 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में। प्रोस्टेट एक छोटी ग्रंथि है जो केवल पुरुषों और ट्रांस महिलाओं में पाई जाती है। बढ़ती उम्र के साथ यह ग्रंथि भी बड़ी होती जाती है। इसके साथ ही ऐसी कई स्थितियां हैं जो प्रोस्टेट ग्रंथि को प्रभावित कर सकती हैं। इन स्थितियों में आमतौर पर प्रोस्टेट से जुड़ी कुछ बीमारी शामिल होती है। इन बीमारियों के आधार पर ही व्यक्ति में प्रोस्टेट के लक्षण दिखाई देते हैं। आइए जानते हैं प्रोस्टेट से जुड़ी 3 सबसे आम बीमारियां कौन सी हैं। प्रोस्टेट का बढ़ना : प्रोस्टेट का बढ़ना उम्र बढ़ने से जुड़ी एक बहुत ही सामान्य स्थिति है। यह कैंसर के कारण नहीं होता है और इससे प्रोस्टेट कैंसर होने का खतरा नहीं बढ़ता है। प्रोस्टेट बढ़ने पर मूत्रमार्ग पर दबाव पड़ता है। इससे व्यक्ति का पेशाब संबंधी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। बढ़े हुए प्रोस्टेट के लक्षण में कुछ शामिल है ये: पेशाब रोकने में कठिनाई होना  पेशाब करते समय जोर लगाना रात में बार-बार पेशाब आना  पेशाब के प्रवाह का कमजोर होना  इन लक्षणों को नियंत्रित करने के...

बच्चों में एडीएचडी के लक्षण नजर आने पर पेरेंट्स अपनाएं ये 5 टिप्स

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  क्या आपका बच्चा नहीं देता है पढ़ाई में ध्यान और नहीं सुनता है आपकी बात? क्या आपको समझ नहीं आ रहा कि आपका बच्चा क्यों इतनी बातें करता है? सावधान! बच्चों के इस रवैये का कारण अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (Attention Deficit Hyperactivity Disorder) हो सकता है। वैसे तो ज्यादातर किशोरों एवं बच्चों में एडीएचडी के लक्षण नजर आते हैं लेकिन युवा पीढ़ी भी इस बीमारी का शिकार हो सकती है।  बच्चों का ख्याल रखने के लिए अपनाएं ये पेरेंटिंग टिप्स एडीएचडी सिर्फ बच्चों ही नहीं बल्कि उनके परिवार के लिए भी बड़ी चुनौतियां खड़ी करता है। अगर बच्चों में एडीएचडी के लक्षण नजर आये तो पेरेंट्स की जिम्मेदारियां और भी ज्यादा बढ़ जाती हैं। ऐसे में कुछ टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं - 1. सकारात्मक सोचें और अपने बच्चे पर भरोसा करें हमेशा अपनी सोच को सकारात्मक बनाए रखें तभी आप बच्चे के साथ जुड़ पायेंगे। अपने बच्चे पर भरोसा करना सीखें। उनसे कोई बड़ी उम्मीद न पालें जो आपके बच्चे पर भी दबाव बढ़ाये। ये विश्वास करें कि आपका बच्चा भी सीख सकता है, बदल सकता है, मैच्योर हो सकता है और सफल हो सकता है। बच्चों में एडी...

क्या महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों से अलग होते हैं? जानें सच्चाई!

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  ‘हार्ट अटैक’ ये 2 शब्द सुनते ही हर किसी का दिल और दिमाग चिंतित हो जाता है और हो भी क्यों ना? हार्ट अटैक का सीधा संबंध मौत से जो है। हर साल कई लोग हार्ट अटैक से अपनी जान गंवाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पूरे विश्व में हर साल तकरीबन 17.9 मिलियन लोगों की मौत का कारण कार्डियोवैस्कुलर डिजीज है1। वहीं इस बीमारी में 5 में से 4 मौत का कारण हार्ट अटैक होता है। चिंता की बात तो ये है कि अब सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं बल्कि युवाओं में भी हार्ट अटैक के लक्षण दिखने लगे हैं। आंकड़ों के अनुसार भारत में वयस्कों में लगभग एक चौथाई मौत हार्ट अटैक और स्ट्रोक के कारण होती है। वैसे तो हर किसी में हार्ट अटैक के लक्षण एक सामान ही होते हैं। सीने में दर्द या असहज महसूस होना हार्ट अटैक का सबसे कॉमन लक्षण है लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाएं कुछ और भी लक्षणों का अनुभव कर सकती हैं, जैसे- सांस फूलना उल्टी मतली सांस फूलना पीठ या कमर में दर्द जबड़ों में दर्द जानें हार्ट अटैक के और गंभीर लक्षणों के बारे में हार्ट अटैक के लक्षण कई सारे हैं, जिसकी जानकारी वर्तमान समय में हर एक व्यक्ति को होनी चाहिये, जैसे ...

संतुलित आहार से शरीर को मिलते हैं ये 5 फायदे!

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  हम जो खाते-पीते हैं, वह हमारे शरीर की संक्रमण से बचाव करने, लड़ने और उबरने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। उचित आहार के बिना कोई भी अधिक समय तक जीवित नहीं रह पायेगा। सही पोषण मिलने से मोटापा, हृदय रोग, मधुमेह और कुछ प्रकार के कैंसर सहित अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के विकास की संभावना भी कम हो सकती हैं। यदि आप संतुलित आहार लेते हैं, तो आपके शरीर की कोशिकाओं और ऊतकों को सही मात्रा में पोषक तत्व  मिलते हैं, जिससे आप स्वस्थ रहते हैं। आइए जानते हैं शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में संतुलित आहार का महत्व: रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है - इम्युनिटी मजबूत होने से शरीर किसी भी बीमारी से लड़ने के लिए सक्षम हो सकता है। सही पोषक तत्व प्राप्त करने से आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। यह आपके संक्रमण होने के जोखिम को भी कम करता है। इसलिए इम्युनिटी को बढ़ाने और स्वस्थ रहने के लिए संतुलित आहार अपनाएं। बीमारियां होने का जोखिम कम होता है - फलों और सब्जियों से युक्त संतुलित आहार में भी वे सभी एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो शरीर की कोशिकाओं को हानि पहुंचने से बचाते हैं। एंटीऑक्सिडेंट कुछ कैंसर क...

बच्चों में पेट दर्द हो सकता है इन बीमारयों का संकेत

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  बच्चों में पेट दर्द की समस्या बहुत आम है। ज्यादातर यह समस्या खानपान से जुड़े गलत आदतों के कारण देखा जाता है। आजकल जंक फ़ूड का चलन इतना बढ़ गया है कि बच्चे सहित युवाएं भी पेट दर्द की समस्या से परेशान हैं। देखा जाए तो यह सामान्य पेट दर्द दो से तीन दिनों तक रहता है। अगर एक हफ्ते या उससे अधिक समय तक बच्चे के पेट में दर्द रहे तो उसे अनदेखा न  करें।  पेट में दर्द हो सकता है इन बिमारियों का संकेत कई बार बच्चों में पेट दर्द कुछ बीमारियों के कारण भी हो सकता है। आइये जानते है कि वो कौन सी बीमारियां हैं- एक्यूट अपेंडिसाइटिस : अपेंडिक्स एक पतली, छोटी ट्यूब होती है जो बड़ी आंत से जुड़ी होती है, जहां मल बनता है। कई बार आंतों में संक्रमण, कब्ज या अन्य किसी कारण से अपेंडिक्स में सूजन आ जाती है या उसकी नली में ब्लॉकेज हो जाता है। इसे अपेंडिसाइटिस कहा जाता है। यह आमतौर पर बच्चे के पेट के बीच में दर्द के साथ शुरू होता है। यह दर्द आता जाता रहता है। कुछ समय के भीतर ये दर्द पेट के दाहिने ओर निचले हिस्से में जाता है। इस हिस्से में ही अपेंडिक्स होता है। इस पर दबाव डालने, खांसने या चलने से दर्द ...

नहीं ठीक हो रहा पीसीओएस (PCOS), जानें कैसे सीड साइकलिंग कर सकता है मदद?

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  आजकल महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के मामले बढ़ रहे हैं। इसी असंतुलन के कारण पीसीओएस (PCOS) यानी कि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम जैसी बीमारियां पैर पसार रही हैं। ये बीमारी आज भले ही आम हो चुकी है लेकिन इसके परिणाम बहुत ज्यादा गंभीर हो सकते हैं। जी हाँ, क्योंकि कई मामलों में पीसीओएस एक महिला के प्रेगनेंट होने में सबसे बड़ी बाधा बन सकता है। इसीलिए इस समस्या का इलाज जितनी जल्दी शुरू हो जाये उतना बेहतर है। वैसे दवाईयों के साथ-साथ कुछ और भी ऐसी बातें हैं, जिस पर अगर ध्यान दिया जाये तो इस परेशानी से राहत मिल सकती है। यहाँ चर्चा हो रही है सीड साइकलिंग की लेकिन इस विषय पर चर्चा करने से पहले पीसीओएस को समझना जरूरी है।   पीसीओएस क्या है?  जब महिलाओं के शरीर में हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ जाता है तब पीसीओएस की समस्या पैदा होती है। इसमें अंडाशय एस्ट्रोजन नामक पुरुष हार्मोन का उत्पादन ज्यादा मात्रा में करने लगती है। इस वजह से अंडाशय में छोटे-छोटे सिस्ट विकसित हो जाते हैं। पीसीओएस के लक्षण अनियमित माहवारी चेहरे में मुंहासे आना मूड स्विंग डिप्रेशन चेहरे पर बाल आना वजन बढ़ना सीड साइ...