नहीं ठीक हो रहा पीसीओएस (PCOS), जानें कैसे सीड साइकलिंग कर सकता है मदद?

 


आजकल महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के मामले बढ़ रहे हैं। इसी असंतुलन के कारण पीसीओएस (PCOS) यानी कि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम जैसी बीमारियां पैर पसार रही हैं। ये बीमारी आज भले ही आम हो चुकी है लेकिन इसके परिणाम बहुत ज्यादा गंभीर हो सकते हैं। जी हाँ, क्योंकि कई मामलों में पीसीओएस एक महिला के प्रेगनेंट होने में सबसे बड़ी बाधा बन सकता है। इसीलिए इस समस्या का इलाज जितनी जल्दी शुरू हो जाये उतना बेहतर है। वैसे दवाईयों के साथ-साथ कुछ और भी ऐसी बातें हैं, जिस पर अगर ध्यान दिया जाये तो इस परेशानी से राहत मिल सकती है। यहाँ चर्चा हो रही है सीड साइकलिंग की लेकिन इस विषय पर चर्चा करने से पहले पीसीओएस को समझना जरूरी है।  

पीसीओएस क्या है? 

जब महिलाओं के शरीर में हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ जाता है तब पीसीओएस की समस्या पैदा होती है। इसमें अंडाशय एस्ट्रोजन नामक पुरुष हार्मोन का उत्पादन ज्यादा मात्रा में करने लगती है। इस वजह से अंडाशय में छोटे-छोटे सिस्ट विकसित हो जाते हैं।

पीसीओएस


पीसीओएस के लक्षण

  • अनियमित माहवारी
  • चेहरे में मुंहासे आना
  • मूड स्विंग
  • डिप्रेशन
  • चेहरे पर बाल आना
  • वजन बढ़ना

सीड साइकलिंग दे सकता है पीसीओएस से राहत

आंकड़ों के अनुसार तकरीबन 5 से 10% महिलाएं पीसीओएस की चपेट में हैं1। इसके इलाज में दवाईयां तो मददगार हैं ही लेकिन सीड साइकलिंग भी महिलाओं को इस समस्या से राहत दे सकता है। सीड साइकलिंग एक नैचुरल ट्रीटमेंट है जो शरीर की कई समस्याओं से छुटकारा दिलाने में सहायता करता है। 

जानें क्या होता है सीड साइकलिंग?

सीड का मतलब है बीज। इस प्रक्रिया में हर महीने निर्धारित समय पर अलग-अलग प्रकार के बीज का सेवन करना पड़ता है। सीड साइकलिंग में कद्दू के बीज (Pumpkin Seeds), अलसी के बीज (Flax Seeds), तिल के बीज (Sesame Seeds) एवं सूरजमुखी के बीज (Sunflower Seeds) शामिल हैं। महिलाएं चाहें तो सलाद या स्मूदी शेक में मिलाकर ये बीज ले सकती हैं। वैसे ये सीड साइकलिंग 2 फेज में काम करता है - फॉलिक्यूलर फेज़ और ल्यूटिकल फेज़।

फॉलिक्यूलर फेज़

फॉलिक्यूलर फेज़ पीरियड्स के पहले दिन से शुरू होकर 14 दिनों तक चलता है। इस दौरान कद्दू और अलसी के बीज का सेवन फायदेमंद होता है। ये शरीर में एस्ट्रोजन के स्तर को बढ़ाने में मदद करते हैं। कद्दू के बीज में जिंक अच्छी मात्रा में मौजूद होते हैं जो मेंस्ट्रुअल साइकिल के दूसरे चरण में प्रोजेस्टेरोन के उत्पादन को बढ़ाते हैं। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को  फॉलिक्यूलर फेज़ में हर रोज 1-1 चम्मच कद्दू और अलसी के बीज का सेवन करना चाहिये।

ल्यूटिकल फेज़

ल्यूटिकल फेज़ मेंस्ट्रुअल साइकिल के 15वें दिन से शुरू होकर 28वें दिनों तक रहता है। इस फेज़ में तिल और सूरजमुखी  के बीज का सेवन शरीर में प्रोजेस्टेरोन के उत्पादन को बढ़ाता है। तिल जहाँ जिंक का महत्वपूर्ण स्त्रोत है, वहीं सूरजमुखी  के बीज में विटामिन ई और सेलेनियम की भरमार होती है। विटामिन ई प्रोजेस्टेरोन के स्तर में वृद्धि करता है, वहीं सेलेनियम अतिरिक्त एस्ट्रोजन से लीवर को डिटॉक्सीफाई करने में मदद करता है। ल्यूटिकल फेज में हर रोज 1-1 चम्मच तिल और सूरजमुखी  के बीज का सेवन करना फायदेमंद होता है।

सीड साइकलिंग के फायदे

  • पीसीओएस की समस्या में कद्दू का बीज राहत प्रदान करता है। इसमें लिग्नन के अलावा जिंक भी मौजूद होता है जो पीरियड्स में क्रैम्प्स से आराम देता है1।
  • सीड साइकलिंग प्रक्रिया शरीर में हार्मोनल संतुलन बनाये रखने में मदद करती है। ये शरीर में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन एवं टेस्टोस्टेरोन को सिंक्रोनाइज रखने में भी सहायता करती है।
  • सूरजमुखी के बीज में विटामिन ई बहुत ज्यादा मात्रा में मौजूद रहते हैं। इससे शरीर में प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ता है। जिसकी मदद से महिला को गर्भधारण में मदद मिलती है। इसमें फैटी एसिड भी मौजूद रहते हैं जिसकी शरीर को आवश्यकता होती है।
  • तिल के बीज से शरीर में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा घटती है। इसके साथ ही इससे शरीर में इंसुलिन ज्यादा मात्रा में अवशोषित होते हैं और पीरियड्स रेग्यूलेट करने में मदद मिलती है। 
  • तिल के बीज में लिग्नन, विटामिन बी1, बी6, कैल्शियम एवं मैग्नीशियम भी मौजूद होते हैं जो शरीर में हार्मोन्स के संतुलन को बनाये रखते हैं।
  • सीड साइकलिंग से शरीर में प्रोटीन की कमी दूर होती है, जिससे हड्डियां भी मजबूत होती हैं।

अगर आप भी पीसीओएस से परेशान हैं तो सीड साइकलिंग प्रक्रिया को अपनाने की कोशिश करें। ये एक कारगर प्रक्रिया है जिसका जिक्र कई अध्ययनों में किया गया है। आप चाहें तो इस मामले में अपने चिकित्सक से भी सलाह ले सकती हैं। वो आपको सीड साइकलिंग के महत्व को समझने में मदद करेंगे। अगर इस प्रक्रिया को अच्छे से समझकर आजमाया जाये तो आपको अपनी बीमारी में फर्क दिखाई देने लगेगा। 

Reference
Sajiah, S., and Begum, N., 2022. Role of seed cycling in the management of polycystic ovarian syndrome. International journal of multidisciplinary education research, 11,2 (2).

Seed cycling treat - me-foreningen.no (no date). Available at: https://www.me-foreningen.no/wp-content/uploads/2019/12/Seed-Cycling-K-Treat-080318.pdf  

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