क्या आपका बच्चा नहीं देता है पढ़ाई में ध्यान और नहीं सुनता है आपकी बात?
क्या आपको समझ नहीं आ रहा कि आपका बच्चा क्यों इतनी बातें करता है?
सावधान! बच्चों के इस रवैये का कारण अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (Attention Deficit Hyperactivity Disorder) हो सकता है। वैसे तो ज्यादातर किशोरों एवं बच्चों में एडीएचडी के लक्षण नजर आते हैं लेकिन युवा पीढ़ी भी इस बीमारी का शिकार हो सकती है।
बच्चों का ख्याल रखने के लिए अपनाएं ये पेरेंटिंग टिप्स
एडीएचडी सिर्फ बच्चों ही नहीं बल्कि उनके परिवार के लिए भी बड़ी चुनौतियां खड़ी करता है। अगर
बच्चों में एडीएचडी के लक्षण नजर आये तो पेरेंट्स की जिम्मेदारियां और भी ज्यादा बढ़ जाती हैं। ऐसे में कुछ टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं -
1. सकारात्मक सोचें और अपने बच्चे पर भरोसा करें
हमेशा अपनी सोच को सकारात्मक बनाए रखें तभी आप बच्चे के साथ जुड़ पायेंगे।
अपने बच्चे पर भरोसा करना सीखें। उनसे कोई बड़ी उम्मीद न पालें जो आपके बच्चे पर भी दबाव बढ़ाये। ये विश्वास करें कि आपका बच्चा भी सीख सकता है, बदल सकता है, मैच्योर हो सकता है और सफल हो सकता है।
बच्चों में एडीएचडी के लक्षण नजर आने पर आप डॉक्टर, थेरेपिस्ट या फिर टीचर्स की मदद भी ले सकते हैं। आप चाहें तो ऐसे संगठन से भी जुड़ सकते हैं जो एडीएचडी से पीड़ित बच्चों के लिए काम करता है। इससे आपको सहायता मिलेगी।
2. अपने बच्चे के लिए आसान रूटीन सेट करें
अगर आपका बच्चा एडीएचडी से पीड़ित है तो उसके लिए ऐसा रूटीन बनाये जिससे उसको पता हो कि कब, क्या करना है? स्कूल, होमवर्क, खेल, सोना-उठना आदि चीजों का रूटीन सेट करके रखें।
घर में हर जगह और विशेष रूप से अपने बच्चे के कमरे में बड़ी घड़ी लगाएं। हर काम चाहे वो होमवर्क हो या कहीं जाने के लिए तैयार होना, अपने बच्चे को उपयुक्त वक्त दें।
अपने बच्चो को प्राइवेट स्पेस देना भी सीखें।
3. अपने बच्चे को काम में रखें व्यस्त
बच्चों में एडीएचडी के लक्षण दिखाई दें तो उन्हें अलग-अलग एक्टिविटी करना सिखाएं ताकि वे व्यस्त रहें।
स्पोर्ट्स, आर्ट क्लास या फिर म्यूजिक क्लास में अपने बच्चे को भेजें। हाँ, वीडियो गेम्स या टीवी से बच्चे को दूर रखें। इससे बच्चे ज्यादा हिंसक हो सकते हैं।
खेल एक ऐसा जरिया है जो बच्चे को न सिर्फ फिजिकल फिटनेस देता है बल्कि उनके स्किल्स को भी बढ़ाता है। इसीलिए अपने बच्चे के लिए एक ऐसा खेल चुनें, जिसे खेलने से उसे खुशी मिलती हो। अगर एडीएचडी से पीड़ित बच्चों को योगा या मार्शल आर्ट सिखाया जाये तो ये उनके मानसिक शांति के लिए बेहतर होता है।
4. बच्चे की नींद का रखें ख्याल
एडीएचडी से पीड़ित बच्चे के टीवी का टाइम घटाकर उसके एक्सरसाइज का टाइम बढ़ा दें ताकि उसे अच्छी नींद आये।
बच्चे के खाने में कैफीन प्रोडक्ट्स की मात्रा कम कर दें।
सोने से पहले कम से कम 10 मिनट तक अपने बच्चे के साथ प्यार से बर्ताव करें। उसके कमरे में अच्छी खूशबू रहे, इस बात का भी ध्यान रखें।
5. बच्चे को अच्छा खाना सिखाएं
बच्चों में एडीएचडी के लक्षण का खाने से सीधा संपर्क नहीं है लेकिन सही आहार बच्चे को हेल्दी बनाये रख सकता है।
कब, कहाँ, क्या और कितनी मात्रा में खाना है, अपने बच्चे को जरूर सिखाएं।
बच्चे के खाने में विटामिन और मिनरल्स सप्लीमेंट्स की मात्रा बढ़ाएं। जंक फूड्स से बच्चे के दूर रखें। साथ ही ये भी देख लें कि आपका बच्चा टीवी देखते हुए खाना न खाए।
अगर आपको भी अपने
बच्चों में एडीएचडी के लक्षण नजर आये तो ऊपर बताये गये पेरेंटिंग टिप्स की मदद जरूर लें। ऐसी स्थिति में बच्चे को सबसे ज्यादा जरूरत उनके पेरेंट्स की होती है। इसीलिए अपने बच्चे का सपोर्ट सिस्टम बनें और आवश्यक सलाह के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
Reference: Melinda Smith, M.A. and Jeanne S., 2019. ADHD Parenting Tips. Available at: https://resources.finalsite.net/images/v1580843881/springbranchisdcom/cyoykvmkaicmwdlargxa/HelpGuideADHDParentingTips.pdf (Accessed: 11 May 2023).
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